इंदौर पुस्तक मेला




पुरस्कार वितरण के साथ पुस्तक मेला का समापन 
 
 किताबें सही मायने में मनुष्य को मनुष्य बनाती है क्योंकि अच्छी किताबें पढ़ने के बाद व्यक्ति के मन में चिंतन और मनन की क्षमता जगती है. पुस्तक व्यक्ति के जीवन को सही दिशा और दशा देती है. ये बात भोपाल के प्रख्यात साहित्यकार श्री कैलाशचन्द्र पन्त ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित पुस्तक मेला के समापन समारोह में कही.इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के राज्य समन्वयक प्रो सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी, समिति के कार्यवाहक प्रधानमंत्री प्रो सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी भी विशेष रूप से उपस्थित थे. 
 
 
व्यक्तित्व निर्माण में पुस्तकों की भूमिका विषय पर बोलते हुए श्री पन्त ने कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखे जा सकते है जिनमे पुस्तक पढ़कर माहापुरुषों ने न सिर्फ अपने जीवन को बल्कि इतिहास को भी बदल दिया. कार्यक्रम को व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के राज्य समन्वयक प्रो सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने भी सम्बोधित किया. आपने कहा कि इस तरह के पुस्तक मेले समाज को नई दिशा देते है.उन्होंने हर शाहर में पुस्तक मेला लगाने की आवश्यकता जताई.  कार्यक्रम का संचालन करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहायक सम्पादक श्री पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि इंदौर पुस्तक प्रेमियों का शहर है.नौ दिनों में पुस्तक प्रकाशकों को यहाँ जो प्रतिसाद और अपनापन मिला उससे फिर से ए साबित हुआ कि इंदौर कला, साहित्य और संस्कारों का शहर है. 
 
इस अवसर पर पुस्तक मेला में हुई चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया. तीन वर्गों में हुई इस प्रतियोगिता के 15 विजेता विद्यार्थियों को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आकर्षक पुरस्कार दिए गए. प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत वीणा पत्रिका के सम्पादक डा. विनायक पाण्डेय, समिति के प्रचारमंत्री श्री अरविन्द ओझा,हरेराम वाजपेयी, देवकृष्ण सांखला और अरविन्द जवलेकर ने किया


महिला लेखिकाओं के नाम रही पुस्तक मेला की शाम  



इंदौर, 13 दिसम्बर . राष्ट्रीय पुस्तक न्यास दिल्ली द्वाता आयोजित हिन्दी साहित्य समिति परिसर इंदौर में चल रहे पुस्तक मेला का आठवां दिन पुण्यश्लोका देवी अहिल्या बाई को समर्पित रहा. यह शाम अहिल्या बाई की स्मृति में महिला लेखिकाओं को समर्पित रही. इस अवसर पर इंदौर लेखिका संघ और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित संध्या में मुम्बई से सूर्यबाला, भोपाल से उर्मिला शिरीष और इंदौर की ही डा. रश्मि रमानी ने अपनी रचना और रचना प्रक्रिया से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया.


कार्य्रकम का प्रारम्भ इंदौर लेखिका संघ की अध्यक्षा डा. प्रेमकुमारी नाहटा के स्वागत भाषण तथा देवी अहिल्या बाई के सुघढ़ राजकाज के विमर्श से हुआ. सुश्री उर्मिला शिरीष ने मेरे लिए साहित्य के मायने विषय परचर्चा करते हुए कहा कि बिना आहित्य के मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है, पढाना और साहित्य के साथ जीना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है. साहित्य करुना, संवेदना और दूसरों के साथ जुडने की कला सिखाता अहै. जब आप निराश, दुखी या अकेले होते हो तो पुस्तकें आपका साथ निभाती है. उन्होंने अपनी एक कहानी रोटियाँ का पाठ किया. डा. रश्मि रामानीने भी अपनी एक कहानी व् कुछ प्रेम कवितायेँ सुनाई. 




मुम्बई से आई डा. सूर्यबाला ने इस बात पर चिंता व्यक्त्त की कि आधुनिक तकनीक साहित्य के लिए अभिशप्त बनती जा रही है और पाठकों के लिए कहानी से दूर जाने के लिए बहुत कुछ लेखक भी ज़िम्मेदार है. उन्होंने कहा कि साहित्य की अनुपस्थिति में मानव की संवेदना रेत की तरह हाथों से फिसलती जा रही है ऐसे दौर में पुस्तक मेले नई आशा जगाते है. उन्होंने अपनी एक कहानी का पाठ भी किया.कार्यक्रम का संचान पद्मजा जी ने किया. 
पूरे विश्व में इंदौर की एक पहचान के रूप में स्थापित थे मुश्ताक साहब





मुश्ताक साहब विश्व में इंदौर की एक पहचान के रूप में स्थापित थे. कर्नल सी.के.नायडू जैसे जोहरी ने इस हीरे को 16साल की उम्र में ही परख लिया था. वे जितने बड़े खिलाड़ी थे उतने ही बड़े इंसान भी थे. ये बात हिन्दे साहित्य समिति में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा संयोजित पुस्तक मेला के तहत मुश्ताक साहब पर केंद्रित एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में समिति के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और विख्यात खेल पत्रकार प्रो सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने कही. उन्होंने मुश्ताक साहब के साथ जुड़े अपने कई यादगार अनुभव श्रोताओं के साथ साझा किये.श्री चतुर्वेदी ने कहा कि मुश्ताक साहब का अन्तराष्ट्रीय करियर भले ही बहुत लंबा नहीं था मगर बेहद चमकदार था वो विदेशी धरती पर शतक जमाने वाले एशिया के पहले क्रिकेटर थे.  
कार्यक्रम को प्रख्यात कमेंटेटर श्री सुशील दोषी ने भी संबोधित किया. उन्होंने मुश्ताक साहब के जीवन के अलावा खेल लेखन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला. कई अंतर्राष्ट्रीय मैचों में कमेंट्री करने वाले श्री दोषी ने कहा कि आज के खिलाड़ियों के पास दौलत और शोहरत पहले के खिलाड़ियों की तुलना में कई गुना ज़्यादा है लेकिन इंसान के रूप में केप्टन सी.के. नायडू और मुश्ताक साहब जितने महान थे ये उसकी बराबरी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि किसी भी खेल पर लिखने या बोलने से पहले उसे समझना और महसूस करना बेहद ज़रूरी है. यदि आप खेल की बारीकियों को महसूस कर सकते है तो आपके मन में अपने आप ऐसे शब्द आयेंगे जो पाठक,दर्शक या श्रोता के मन में उसका सजीव दृश्य अंकित कर देंगे. आपने कहा कि आजकल लोग खिलाड़ियों की निजी ज़िंदगी में ज़्यादा रूचि लेते है खेल के तकनीकी पक्ष में उनकी ज़्यादा दिलचस्पी नहीं रहती. आपने कहा कि खेलों पर लिखते समय हास्य का पुट देना चाहिए.
इंदौर पर केंद्रित कई डाक्यूमेंट्री फिल्म्स बनाने वाले ईएमआरसी के डा. चन्दन गुप्ता ने भी केप्टन मुश्ताक अली के साथ के अपने कई संस्मरण सुनाए. इस अवसर पर ईएमआरसी द्वारा दो फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. इनमे से एक मुश्ताक साहब पर केंद्रित थी तथा दूसरी खेल लेखन पर. प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत समिति के प्रचारमंत्री श्री अरविन्द ओझा और श्री चंद्रसेन विराट ने किया. कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय पुस्तान न्यास के सहायक संपादक श्री पंकज चतुर्वेदी ने तथा आभार प्रदर्शन समिति के साहित्य मंत्री श्री हरेराम वाजपेयी ने किया. 
 
बोलियां खतम होने से हिंदी में विदेशी भाषाएं आ रही हैं – महेश कटारे

हिंदी कि असली ताकत उसकी बोलियां हें, जब हम बोलियों को बिसरा रहे हें तो हिंदी में विदेशी भाषाओं के शब्द दखल कर रहे हें . हमारी बोलियों को समझना कतई कठिन नहीं हैं. प्रख्यात  साहित्यकार महेश कटारे ने यह बात रचना और रचनाकार : मालवा अंचल के परिपेक्ष्य में विषय पर  गोष्ठी में बोल रहे थे, श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समीति के परिसर में चल रहे पुस्तक मेला में मालवी के कवी आनंद राव दुबे कि स्मृति में इस गोष्ठी का आयोजन अंतिका प्रकाशन ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहयोग से किया था .
कार्यक्रम का प्रारंभ आशुतोष दुबे द्वारा आनंद राव दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व के परिचय से हुआ, सुनील चतुर्वेदी ने मालवी में  थोड़ी थोड़ी दूरी व्यापक में व्यापक विविध्तता हें . उन्होंने अपने उपन्यास काली चाट का एक अंश पढ़ कर सुनाया.  वरिष्ठ लेखक प्रकाश कान्त ने कहा कि किसी भी अंचल कि बोली की अपनी खुशबु , अपनी पहचान होती हे .कई बार किसी अंचल की रचना को आलोचक उसका कद कम करने का माध्यम बना लेते हें , जबकि आंचलिक रचना उस अंचल के पाठकों को आकर्षित करती हें .श्री बहादुर पटेल ने कहा कि वे ऐसे ग्रामीण परिवेश से आते हें जहां खेत, खलिहान तो थे लेकिन बचपन में साहित्य का कोई स्थान नहीं था, वे अपने गांव के बिखरने, खेत के बिकने से किसानों के कामगार बनाने का विवरण देते हुए भावुक हो गए, उन्होंने कुछ कवितायेँ सुनायीं  जिसमे ग्रामीण अंचल के विद्रूप होने का दर्द छुपा था,
अंतिका प्रकाशन के गौरीनाथ ने आभार ज्ञापन अक्रते हुए कहा कि वे मालवा के अधिक से अधक रचनाकारों को प्रकाशित करने कि मुहिम में लगे हें .


 

पुस्तक मेला में हुई सामाजिक परिचर्चा 
समाज की आवश्यकता के अनुरूप ही क़ानून बनते है-प्रो. निशा दुबे. समाज  की जैसी परिस्थितियाँ होती है, विकास से जो बुराइयां उपजती है उन्ही के अनुरूप नए-नए क़ानून बनते है लेकिन इंसान का मूल चरित्र है कि वो क़ानून के दुरुपयोग का रास्ता तलाशने लगता है.हमारी अदालतें बेहद सक्षम है और उन्ही की पहल पर पर्यावरण के क़ानून, महिला उत्पीडन सम्बंधित नियम, विशाखा निर्देश जैसे क्रांतिकारी विधि स्थापित हुए है.  ये बात भोपाल विश्व विद्यालय की पूर्व कुलपति डा. निशा दुबे ने इंदौर पुस्तक मेला के दौरान जस्टिस गोवर्धन लाल ओझा की स्मृति में आयोजित एक विचार गोष्ठी में अध्यक्षीय आसंदी से कही.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास तथा समसामयिक अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस गोष्ठी का विषय था वर्त्तमान सामाजिक परिदृश्य में क़ानून की भूमिका.

गोष्ठी के प्रारम्भ में हिन्दी साहित्य समिति के कार्यवाहक प्रधानमंत्री प्रो सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने जस्टिस ओझा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उन्हें देश के महान न्यायविदों में से एक निरुपित किया. डा. मेनास्खी स्वामी ने केन्द्र की गतिविधियों पर चर्चा करते हुए सामाजिक न्याय, सुरक्षा और विकास के लिए क़ानून की अहमियत को रेखांकित किया. 

वरिष्ठ अधिवक्ता विनय झेलावत ने गोष्ठी को दिशा देते हुए बताया कि वर्त्तमान में ही नहीं आदिम काल में भी क़ानून थे, उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि दहेज जैसे कानूनों का व्यापक रूप से दुरुपयोग हो रहा है.
सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री गुलाब शर्मा ने कहा कि हर रोज ५ नए क़ानून बनते है लेकिन व्यावहारिक तौर पर उनका पालन शायद ही कोई करता है.उन्होंने मानवाधिकार क़ानून का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह से समाज और प्रशासन का हर वर्ग मानावाधिकार  कानूनों की अवहेलना करता है. 
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी रहे श्री दिनेश भट्ट ने साइबर कानूनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे यहाँ साइबर कानूनों के बारे में जागरूकता बहुत कम है तथा अनायास ही समाज का एक बड़ा वर्ग इस तरह के कानूनों को तोड़ता भी है और इसका शिकार भी होता है. कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहायक संपादक श्री पंकज चतुर्वेदी ने तथा आभार प्रदर्शन श्री अनिल भोजे ने किया. 




किताबों के माध्यम से जीवन की राह तलाश रहे है लोग
साहित्य के लगाव ने दिखाई युवाओं को पुस्तक मेला की राह 


 आमतौर पर ये  माना जाता है कि युवा वर्ग किताबों से दूर होकर डिजीटल माध्यमों का आदी हो गया है लेकिन आर.एन.टी रोड पर हिन्दी साहित्य समिति परिसर में चल रहे पुस्तक मेले में ये धारणा टूटती नज़र आई.सुबह 11से रात 8:30 बजे तक चलने वाले इस मेले के तीसरे दिन आज बड़ी संख्या में युवाओं ने पुस्तक मेला में अपनी आमद दर्ज कराई.इनमें से कोई मृत्युंजय को तलाश रहा था तो कोई मधुशाला को.किसी की निगाहें सचिन की आत्मकथा को ढूंढ रही थी तो कोई चेतन भगत की हाफ गर्लफ्रेंड को.इन सबके बीच विशुद्ध साहित्यिक कलेवर की किताबें ढूँढने भी कई लोग यहाँ आये थे.  
इंदौर में कोई भी मेला चाट-पकौड़ी और खाने- पीने के स्टाल के बगैर नहीं होता मगर इस पुस्तक मेले की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि ये मेला विशुद्ध रूप से किताबों पर केंद्रित है.इस मेले का एकमात्र आकर्षण अच्छी किताबें है और यही आकर्षण दूर-दूर से लोगो को यहाँ खींच कर ला रहा है.लोग यहाँ सिर्फ किताबें देखने और खरीदने के लिए आ रहे है चाट-पकौड़ी खाने नहीं.मेला परिसर में हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी  और उर्दू के अलावा अन्य कई भारतीय भाषाओं मे साहित्य, कला, संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा, मेडिकल रिसर्च, शैक्षणिक नवाचार,नेतृत्व एवं व्यक्तित्व विकास, सूचना तकनीक,वैज्ञानिक शब्दावली, शैक्षणिक सीडीज़, धर्म अध्यात्म,ज्योतिष, संगीत, योग और विज्ञान के साथ साथ महिलाओं और बच्चो के लिए उपयोगी और मार्गदर्शक किताबें प्रदर्शित की है.किताबों की इस दुनिया में हर किसी के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर है





रविवार को हुई चित्रकला प्रतियोगिता -सैकड़ों बच्चों ने कल्पनाओं के रंग बिखेरे 
पत्रकारिता पर विमर्श-  अपनी विश्वसनीयता बचाए रखना है मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती
, कहा वरिष्ठ पत्रकार श्री राधेश्याम शर्मा ने
हिन्दी साहित्य समिति परिसर में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों की भीड़ से गुलज़ार रहा. वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र माथुर को समर्पित इस दिवस में दुनिया जहां की ढेर सारी किताबों के बीच लोगों ने अपनी पसंदीदा किताबें चुनी, दूसरी तरफ पुस्तक मेला में बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता हुई और पत्रकारिता के वर्त्तमान परिदृश्य पर विमर्श भी हुआ.
छुट्टी का दिन होने के कारण आज कई पुस्तक प्रेमी पूरे परिवार के साथ पुस्तक मेला में आये थे.सबकी अपनी- अपनी पसंद थी और अपनी अपनी प्राथमिकता और सबसे बड़ी बात ये कि यहाँ छोटे बच्चे से लगाकर, महिलाओं तक और किशोर और युवाओं से लेकर परिपक्व पाठकों तक सबके लिए कोई ना कोई किताब उपलब्ध है..मेला परिसर में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी के अलावा, राजकमल, प्रभात, राजपाल, सामयिक प्रकाशन,संदीपनी संस्कृत प्रतिष्ठान,किताब घर, बहुरंग सहित देश के लगभग सौ प्रकाशकों ने अपनी किताबें प्रदर्शित की है. 

 
पुस्तक मेला में आज सैकड़ों स्कूली बच्चों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.ये लोग आज यहाँ हुई चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने आये थे. तीन वर्ग में हुई इस प्रतियोगिता में 5साल के नन्हे मुन्नों से लगाकर बारहवी तक के विद्यार्थियों ने खूब उत्साह से भाग लिया. बच्चों को पुस्तक मेला, आज़ादी का आन्दोलन और हमारा शहर इंदौर.इन तीन विषयों पर केन्द्रित चित्र बनाना थे.नन्हे कलमकारों ने अपनी तूलिका से इंदौर के राजबाड़ा और गांधीहाल के साथ-साथ आज़ादी के आन्दोलन को भी जीवंत कर दिया.उन्होंने पुस्तक मेला पर भी आकर्षक चित्र बनाए.

विभिन्न वर्गों में अक्षय सोगानी (लोकमान्य विद्या निकेतन)रिद्धिमा गुप्ता (पोद्दार इन्तार्नेशंल स्कूल)तृतीय महिका तिवारी (क्वींस कालेज)कैलाश शर्मा (एस.जे.बी.एस) में राखी सेन (लिटिल एंजिल्स), वैदेही श्रेयलकर (सेंत रेफियल्स), प्रज्ञा अहिरे (सेन्ट्रल स्कूल केट), अंशिका कैथवास (लिटिल एंजिल्स), नंदिनी भाचावत(चोइथराम स्कूल) राशि अग्रवाल, (सेंत नार्वेट),इशा गुरावत (विद्यासागर), प्राची (ब्रिलियंट स्कूल)सोनालिका राठोर (ब्रिलियंट स्कूल), प्रविशा जैन (विद्यान्जली)कृष्णा जोशी (ब्रिलियंट स्कूल), विजेता रहे इन सबको 14 दिसम्बर को आयोजित समापन समारोह में प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता पुरस्कृत करेंगे. प्रतियोगिता के निर्णायक श्री इस्माइल लहरी और इरशाद कप्तान थे.

पुस्तक मेला का शुभारम्भ 









नौ दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला का शुभारम्भ शनिवार 6 दिसंबर को  
नौ दिन तक सजेगा किताबों का संसार और चलेगा साहित्यिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर
स्कूली बच्चों के लिए भी होंगी कई प्रतियोगिताएं

 हिन्दी साहित्य समिति के रविन्द्रनाथ टैगोर मार्ग स्थित परिसर में 6 दिसम्बर से किताबों का संसार सजेगा.राष्ट्रीय  पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया) और समिति द्वारा यहाँ संयुक्त रूप से नौ दिवसीय पुस्तक मेला का आयोजन किया जा रहा है.पुस्तक मेला का शुभारंभ सुबह 11 बजे लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन करेंगी. पुस्तक मेला में देश के लगभग 100 प्रमुख प्रकाशक भाग लेंगे.  

समिति के कार्यवाहक प्रधानमंत्री प्रो सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी, नेशनल बुक ट्रस्ट के सहायक सम्पादक श्री पंकज चतुर्वेदी और प्रचार मंत्री श्री अरविन्द ओझा ने  बताया कि मेले का शुभारम्भ 6 दिसम्बर को प्रातः11 बजे लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन करेंगी.समिति शताब्दी सामान समारोह के संयोजक श्री सूर्यकांत नागर ने बताया कि शुभारम्भ समारोह मे विख्यात साहित्यकार डा. प्रभात कुमार भट्टाचार्य को समिति के राष्ट्रीय शताब्दी सम्मान और डा. ज्ञान चतुर्वेदी को प्रादेशिक सम्मान से अलंकृत किया जाएगा.उन्हें क्रमशःएक लाख और पचास हज़ार की सम्मान निधि भी भेंट की जाएगी.(दोनों सम्मान मूर्तियों का परिचय संलग्न है)      
 नौ दिनों तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में हर दिन इंदौर से जुडी किसी  एक विख्यात हस्ती को समर्पित कर कार्यक्रम आयोजित किये गए है. लोकमाता देवी अहिल्या बाई, वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र माथुर, वीणा के यशस्वी सम्पादक डा. श्यामसुंदर व्यास, जस्टिस गोवर्धनलाल ओझा, श्री आनंद राव दुबे, डा. शिवमंगल सिंह  कप्तान मुश्ताक अली की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे. 7 दिसंबर रविवार का दिन विख्यात पत्रकार श्री राजेन्द्र माथुर के नाम रखा गया है.इस दिन मेला परिसर में दोपहर 12 बजे कला गुरु देवलालीकर की स्मृति में स्कूली बच्चो की चित्रकला प्रतियोगिता रखी गयी है.तीन वर्गों में होने वाली इस प्रतियोगिता में पहली से बारहवी तक के बच्चे भाग ले सकेंगे.इसके बाद शाम को पत्रकारिता की चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर शाम 6 बजे एक व्याख्यान होगा.   
 
सोमवार 8 दिसम्बर का दिन वीणा के यशस्वी सम्पादक डा. श्याम सुन्दर व्यास को समर्पित है. इस दिन शाम 6 बजे वर्त्तमान परिदृश्य में पत्रिकाओं की भूमिकाविषय पर कार्यक्रम होगा.इसका संयोजन बहुरंग प्रकाशन द्वारा किया जाएगा. 9दिसम्बर का दिन भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री गोवर्धन लाल ओझा पर केन्द्रित है. इस दिन :वर्त्तमान परिदृश्य में कानून की भूमिका विषय पर परिचर्चा होगी. 10 तारीख को आनंद राव दुबे की स्मृति में अंतिका प्रकाशन द्वारा गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा. इसी तरह 11 दिसमबर को हिन्दी परिवार द्वारा शिव मंगल सिंह सुमन की स्मृति में कवि सम्मलेन होगा. 12 दिसम्बर कप्तान मुश्ताक अली के नाम रहेगा. इस दिन शाम 6 बजे EMRC के श्री चन्दन गुप्ता के संयोजन में खेल लेखन पर एक आयोजन होगा. 13 दिसंबर को इंदौर लेखिका संघ द्वारा देवी अहिल्या बाई की स्मृति में रचना पाठ का आयोजन किया जाएगा.    

  आपने बताया कि ये पुस्तक मेला शहर के पुस्तक प्रेमियों के लिये एक सौगात की तरह होगा.इसमें दो लाख से भी ज़्यादा किताबे प्रदर्शित की जायेंगी.सभी पुस्तको पर 10% छूट दी जाएगी.स्थानीय संस्थाओं को साथ लेकर सांस्कृतिक,साहित्यिक और रचनात्मक आयोजन किये जाएंगे.मेले का समापन मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षामंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता की विशेष उपस्थिति में 14 दिसम्बर को होगा








                           
     






 

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